
मथुरा: मथुरा (Mathura) में लोकसभा और विधानसभा का 17 बार चुनाव (Election) लड़ चुके फक्कड़ बाबा (Fakkad baba) का निधन हो गया. वे 81 वर्ष के थे. उन्होंने वर्ष 1977 से लेकर 2019 तक एमएलए और एमपी का चुनाव लड़ा और हर बार हार गए.
उनके अनुयायी चैतन्य कृष्ण उपमन्यु ने बताया कि बाबा फक्कड़ वह मूलतः कानपुर की बिल्हौर तहसील के रहने वाले थे. उन्होंने बचपन में ही घर-परिवार त्याग दिया और संन्यासी हो गए. वे जीवन यापन के घर- घर जाकर रामायण पाठ और कीर्तन करते थे. लेकिन इसके लिए किसी से दक्षिणा नहीं मांगते थे. यजमान उन्हें अपनी खुशी से जो भी दे देता, वे उसी में संतुष्ट हो लेते थे.
अनुयायी के मुताबिक बाबा फक्कड़ पिछले कई सालों से गर्तेश्वर मंदिर परिसर में ही प्रवास कर रहे थे. उन्होंने वहीं पर अंतिम सांस ली. आकाशवाणी के निकट स्थित मोक्षधाम पर कोविड-19 प्रोटोकाल का अनुपालन करते हुए उनके शव का अंतिम संस्कार किया गया.
गर्तेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि बाबा फक्कड़ ने अपने जीवन में आठ बार मथुरा विधानसभा सीट से और नौ बार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. उन्होंने लोकसभा का पहला चुनाव 1977 में लड़ा. जब पूरे देश में इंदिरा गांधी और कांग्रेस के खिलाफ माहौल था.
फक्कड़ बाबा रामायणी ने अंतिम चुनाव 2019 में हेमामालिनी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा. हालांकि उन्हें अपने 17 में से किसी में भी जीत हासिल की. यहां तक कि हर चुनाव में उनकी जमानत राशि जब्त हो जाती. लेकिन उन्होंने अपनी लगन कभी नहीं छोड़ी.
पुजारी के मुताबिक बाबा सचमुच फक्कड़ थे. उन्हें चुनाव लड़ने के लिए पैसे उनके शिष्य और अनुयायी देते थे. बाबा को अपने गुरु के वचन पर विश्वास था कि वह 20वीं बार में चुनाव जरूर जीत जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
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