
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर मुंबई पुलिस और बिहार पुलिस के बीच चल रही तनातनी के बीच आज एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो फोरेंसिक टीम एक्सपर्ट्स ने कथित रूप से दिवंगत अभिनेता की मृत्य के दौरान फिंगर स्वब्स और नेल क्लिप्पिंग्स नहीं की। इस मामले में अब एक बार फिर से मुंबई पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे है।
मिड-डे की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक फॉरेंसिक सर्जन ने कथित तौर पर खुलासा किया है कि सुशांत डेथ बॉडी का परिक्षण करने वाले फोरेंसिक सर्जनों ने फिंगर स्वब्स और नेल क्लिप्पिंग्स को इकट्ठा नहीं किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, फॉरेंसिक सर्जन ने भी बताया है कि हो सकता है कि 14 जून को कूपर अस्पताल में डेथ बॉडी परीक्षण के दौरान फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम द्वारा महत्वपूर्ण टुकड़ों को एकत्र नहीं किया होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशांत के शव का परीक्षण करने वाली टीम में पोस्टमार्टम सेंटर के एक सर्जन शामिल थे, जो पुलिस के अंतर्गत काम कर रहे थे। इसमें डॉक्टर एसएम पाटिल और 4 सर्जनों के तहत फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट, एचबीटी मेडिकल कॉलेज और डॉ आर एन कूपर म्यूनिसिपल हॉस्पिटल से काम कर रहे थे।
रिपोर्ट में यह भी ये कहा गया है कि 16 जून को जब वे सबूत जुटाने के लिए सुशांत के अपार्टमेंट में गए तो फोरेंसिक टीम एक्सपर्ट्स के साथ कोई फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट्स मौजूद नहीं था। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि ‘पुलिस सर्जन, जो राज्य के मेडिको-लीगल एडवाइजर भी हैं की फोरेंसिक सलाह के लिए जांच करने वाली पुलिस टीम से भी संपर्क नहीं किया गया।’ फॉरेंसिक सर्जन ने बताया, ‘फॉरेंसिक सर्जन / फॉरेंसिक साइंटिस्ट द्वारा उंगलियों के निशान लेने के लिए कहा जा सकता है, जो एक फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट्स से उस दौरान मिस हो गए है क्योंकि हर क्राइम सीन अलग है। फोरेंसिक सर्जन और फोरेंसिक साइंटिस्ट द्वारा इसका विश्लेषण आमतौर पर अधिक से अधिक सबूत जुटाने में मदद करता है।
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रिपोर्ट में शहर के एक मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक सर्जन ने बताया कि इन फिंगर स्वब्स की मदद से अभिनेता के मामले में फाउल प्ले के बारे में अच्छी तरह से पता लगाया जा सकता था। इस स्वाब से संकेत मिल सकता था कि सुशांत की उंगलियों पर सीलिंग फैन से धूल के कण मौजूद थे। इससे फाउल प्ले की अस्पष्टता साफ हो जाती। धूल के कण फांसी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े पर, छत के पंखे और उंगलियों पर होते। इन सभी चीजों पर धूल के कण होने से एक सुराग मिल सकता था। यहां तक कि अगर उंगलियों पर धूल नहीं होती, तो कपड़ा और पंखा जरूर होता।
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